Meet Rosy, a dedicated nurse working in a bustling corporate hospital in Gurugram. Originally from Kerala, Rosy’s journey from a fresh graduate to a seasoned professional is truly inspiring. Through her daily diary, she captures her soothing morning routines, the challenges and triumphs of her workday, and her enriching evening sessions with Talent MD skill development courses. Rosy's entries offer a unique glimpse into the life of a nurse, filled with care, learning, and growth. Aspiring nurses can draw inspiration from her experiences, discovering practical care giving strategies and the profound impact of compassionate nursing in healthcare. Follow Rosy's journey to see new opportunities to make a meaningful difference in patients' lives.
30-Nov--0001
Gurugram, India
सुबह जब मैं जागी, तो मेरे मन में एक नई ऊर्जा थी। मैंने अपनी नर्सिंग यूनिफॉर्म पहनी और तैयार होकर अस्पताल के लिए निकल पड़ी। गुरुग्राम की सड़कों पर सुबह का नजारा हमेशा मुझे उत्साहित करता है। अस्पताल पहुँचते ही, मैंने अपनी टीम के साथ सुबह की मीटिंग में हिस्सा लिया। आज भी बहुत कुछ नया और चुनौतीपूर्ण काम हमारे सामने था।
सुबह के समय, मुझे आईसीयू में जाकर रात के मरीजों की स्थिति की जांच करनी पड़ी। सबसे पहले, मैंने कल की बुजुर्ग महिला को देखा, जिन्हें निमोनिया था। उनकी हालत में थोड़ा सुधार दिख रहा था, जो मेरे लिए राहत की बात थी। उनके परिवार वालों ने मुझसे मिलकर धन्यवाद कहा और उनके चेहरे पर खुशी देखकर मेरा दिल भर आया। सुबह की यह शुरुआत अच्छी थी, लेकिन असली चुनौती तब आई जब एक एक्सीडेंट का केस आया। एक युवक को सड़क हादसे में गंभीर चोटें आई थीं। उसकी हालत बहुत नाजुक थी और उसे तुरंत ऑपरेशन थिएटर में ले जाना पड़ा। ऑपरेशन के दौरान, मुझे बहुत सी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ निभानी पड़ीं। मेरे हाथ कांप रहे थे, लेकिन मैंने अपने आपको संभाला और पूरी तन्मयता से काम किया। डॉक्टरों की टीम ने मिलकर ऑपरेशन किया और आखिरकार हम उसे बचाने में सफल रहे। यह ऑपरेशन बहुत ही जटिल और थका देने वाला था। ऑपरेशन के बाद, मैं ऑपरेशन थिएटर से बाहर निकली और एक गहरी सांस ली। उस युवक की जान बचाकर मुझे बहुत संतोष मिला। इस दौरान, आरोग्या मैम ने फिर से मेरी हिम्मत बढ़ाई। उन्होंने कहा, "रोजी, तुमने बहुत अच्छा काम किया है। तुम्हारी मेहनत और ध्यान ने इस युवक की जान बचाई है।" उनकी बातें सुनकर मेरा आत्मविश्वास और बढ़ गया।
शाम को, मैंने मरीजों की स्थिति की फिर से जांच की। सभी मरीजों की हालत स्थिर थी, जो मेरे लिए राहत की बात थी। यह देखकर मुझे बहुत खुशी हुई। मैंने मरीजों और उनके परिवार वालों से बात की और उन्हें सांत्वना दी। उनकी आँखों में जो राहत और धन्यवाद के भाव थे, उन्होंने मेरी सारी थकान मिटा दी। रात को घर लौटकर मैंने "नियॉनैटल रेससिटेशन प्रोग्राम (NRP)" का पाँचवाँ मॉड्यूल पूरा किया। इस मॉड्यूल में, मैंने नवजात शिशुओं में शॉक और विशेष परिस्थितियों के प्रबंधन के बारे में सीखा। इसमें यह जानना महत्वपूर्ण था कि नवजात शिशुओं में शॉक की पहचान कैसे की जाए और इसे तुरंत कैसे प्रबंधित किया जाए। मैंने सीखा कि शॉक के कारण नवजात शिशु के शरीर में ब्लड फ्लो कम हो जाता है, जिससे उसके ऑर्गन्स को पर्याप्त ऑक्सीजन और न्यूट्रिएंट्स नहीं मिल पाते। इस स्थिति में, हमें तुरंत IV फ्लूड्स देना पड़ता है और सही मात्रा में वॉल्यूम एक्सपैंडर्स का उपयोग करना पड़ता है। इसके अलावा, मैंने यह भी सीखा कि अगर शॉक के कारण शिशु की हालत गंभीर हो जाए, तो उसे कैसे स्थिर करना है और आगे की देखभाल कैसे करनी है। इस मॉड्यूल ने मुझे उन विशेष परिस्थितियों के प्रबंधन के बारे में भी सिखाया, जो नवजात शिशुओं में सामान्यतः नहीं पाई जातीं, जैसे कि जन्मजात हृदय दोष या गंभीर संक्रमण। मैंने यह सीखा कि इन विशेष परिस्थितियों में कैसे सावधानीपूर्वक और कुशलतापूर्वक काम करना चाहिए। सोने से पहले, मैंने फिर से अपने दिन के अनुभवों को डायरी में दर्ज किया।
आज का दिन मुझे यह सिखाने में महत्वपूर्ण था कि अगर हम मेहनत, समर्पण और आत्मविश्वास के साथ काम करें तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। आज का दिन भी कई सीखों और भावनाओं से भरा हुआ था। मुझे यह समझ में आया कि हर दिन एक नई शुरुआत होती है और हर चुनौती एक नया अवसर होती है। नर्सिंग का यह सफर मुझे न केवल पेशेवर रूप से बल्कि व्यक्तिगत रूप से भी बहुत कुछ सिखा रहा है।
शुभ रात्रि! 😊
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